एक सिद्धांत अनुसार ये मूलत: कश्मीर के थे। कश्मीर का 'अनंतनाग' इलाका इनका गढ़ माना जाता था। कांगड़ा, कुल्लू व कश्मीर सहित अन्य पहाड़ी इलाकों में नाग ब्राह्मणों की एक जाति आज भी मौजूद है।
नाग वंशावलियों में 'शेष नाग' को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेष नाग को ही 'अनंत' नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह आगे चलकर शेष के बाद वासुकी हुए फिर तक्षक और पिंगला।
वासुकी का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था और मान्यता है कि तक्षक ने ही तक्षकशिला (तक्षशिला) बसाकर अपने नाम से 'तक्षक' कुल चलाया था। उक्त तीनों की गाथाएं पुराणों में पाई जाती हैं।
उनके बाद ही कर्कोटक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अनत, अहि, मनिभद्र, अलापत्र, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना इत्यादी नाम से नागों के वंश हुआ करते थे। भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में इनका राज्य था।
अथर्ववेद में कुछ नागों के नामों का उल्लेख मिलता है। ये नाग हैं श्वित्र, स्वज, पृदाक, कल्माष, ग्रीव और तिरिचराजी नागों में चित कोबरा (पृश्चि), काला फणियर (करैत), घास के रंग का (उपतृण्य), पीला (ब्रम), असिता रंगरहित (अलीक), दासी, दुहित, असति, तगात, अमोक और तवस्तु आदि।
17.Nagvanshi Kshatriya:
ReplyDeleteGothra - Kashyap, Shunak.
Isht Dev - Nag Devta. Ashwasen, Ritusen belong to this vanshaRaj .
State - Mathura, Marwad, Kashmir, Chhota Nagpur.
Branches - Taank, Katoch, Takshak etc.
100% सही कहा आपने
Deleteमणिपुर ओर नागालैंड में नागवंश छत्रीय हैं जो 2री सदी से नाम के साथ सिंह व ओरते देवी लगाती हैं हमे सिर्फ जब पता लगता है जब वो बॉक्सिंग आदि में हिस्सा लेने आते हैं
ReplyDeleteइतिहास में नागवंश ने 2री सदी से 5वीं शताब्दी तक 400 वर्ष राज किया था
ReplyDeleteKuldevi kon hy
ReplyDeleteमे तस्वीर का मतलब जानना चाहता हु ‼️
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